वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१४ मई, २०१८
फ्री हर्ट्स कैंप, नैनीताल
अंतर दाव लगी रहै, धुआं न प्रगट होय ।
कै जिय जाने आपुनो, जा सिर बीती होय ॥
~ संत रहीमदास जी
बिरह भुवंगम तन बसै , मंत्र न लागै कोइ।
राम बियोगी ना जिवै , जिवै तौ बौरा होइ ॥
~संत कबीरदास जी
प्रसंग:
विरह की आग कैसे बुझे?
"अंतर दाव लगी रहै, धुआं न प्रगट होय ।
कै जिय जाने आपुनो, जा सिर बीती होय" || रहीमदास इस दोहे किस आग की बात कर रहे है?
राम बिना न जीए पाओ गए? गुरु कबीर क्यों बोल रहे है?